हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम आशीष है Hindi sexy story और मेरी उम्र 25 साल है और में दिखने में बहुत अच्छा लगता हूँ.. मेरी हाईट 5.11 इंच और मेरे लंड की लम्बाई 7 इंच है। दोस्तों आज में आप सभी को कामुकता डॉट कॉम पर अपनी लाईफ की एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ.. वैसे यह मेरी मौसी की चुदाई की कहानी है जिसमे वो कुछ तांत्रिकों से चुदी.. अब इसके आगे आप खुद ही पढ़कर मज़े लीजिए। दोस्तों लेकिन उससे पहले में थोड़ा अपनी मौसी के बारे में भी बता देता हूँ………..
वो बहुत सुंदर, बहुत गोरी और उसके फिगर एकदम सेक्सी बड़े बड़े गोल उनके बूब्स का साईज 40 है और वो जब भी बाथरूम में नहाने जाती तो बाहर सिर्फ ब्रा, पेटीकोट पहनकर आती.. उनको में अभी भी बच्चा ही लगता हूँ और में उनके बूब्स का मज़ा लेता.. लेकिन वो शादी होने के बाद भी चेहरे से एकदम हॉट, सेक्सी कुंवारी दिखती है। दोस्तों वो अपनी शादी होने के कुछ महीने बाद से ही मेरे नाना, नानी के घर पर रहने लगी थी..
क्योंकि मेरे मौसा जी ज्यादा कुछ कमाते नहीं थे और वो शायद उनको पूरी सुख सुविधा नहीं दे सके और वो अपने पति के साथ वहीं पर रहने आ गई।
उस समय मेरे भी कॉलेज की छुट्टियाँ लग रही थी और में अपने नाना नानी के घर कुछ दिन गुजारने चला आया और फिर एक दिन मेरे नाना, नानी किसी जरूरी काम से कुछ दिनों के लिए बाहर चले गए और फिर उसी दिन मौसी और मौसा जी का किसी बात को लेकर बहुत झगड़ा हुआ और वो घर छोड़कर चले गए और अब घर में वो अकेली रह गई। कुछ दिनों के लिए तो में भी मौजूद था.. लेकिन कुछ दिनों के बाद मुझे भी अपने घर पर वापस जाना था। फिर क्या था वो तो मुझे और भी सेक्सी लगने लगी और वो भी बिना बाँह के कपड़े पहनने लगी और अपने बाल खुले करके पूरे घर में घूमने लगी। उनकी उम्र 35 साल थी..,,,,,,,,
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लेकिन फिर भी वो अपने कामुक जिस्म की वजह से बहुत कम उम्र की लगती। फिर में अक्सर दिन में बाहर अपने दोस्तों के साथ जाकर क्रिकेट खेलने चला जाता और वैसे भी उस समय मेरी गर्मियों की छुट्टियाँ लगी हुई थी और फिर एक दिन में जल्दी ही घर पर पहुंच गया और मुझे अपने घर पर दो लोग मिले। वो लोग मुझे तांत्रिकों जैसे लगे.. उन्होंने गले में बड़ी बड़ी माला पहनी हुई थी और हाथ में त्रिशूल भी था.. लेकिन वो किसी और गाँव के थे। मैंने उनको कभी भी यहाँ पर नहीं देखा था।
फिर वो मुझे देखकर कुछ देर बाद चले गए.. लेकिन मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वो लोग घर के अंदर क्या कर रहे थे? फिर अंदर जाने के बाद मुझे समझ में आ गया कि वो लोग सही में तांत्रिक है और मेरी मौसी तांत्रिक से कोई पूजा करवाना चाहती हैं। तो मैंने जब घर में अंदर आकर देखा तो वो दोनों लगातार उनके शरीर को घूर रहे थे.. लेकिन उन्हे इससे कोई प्राब्लम नहीं थी और फिर वो चले गये।
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दोस्तों में उस घटना के बारे में पूरे दिन सोचता रहा.. लेकिन मैंने मौसी से इस बारे में कुछ भी नहीं पूछा.. क्योंकि मुझे मौसी खुद ही दूसरी दुनिया में लग रही थी। उनका व्यहवार एकदम बदल गया था और फिर में रात को यह सब सोचकर सो गया और अगले दिन में अपने दोस्तों के साथ फिर से खेलने बाहर चला गया.. लेकिन में जिस समय में कल दिन में आया था..
उसी समय वापस घर पर आया तो मौसी कहीं भी नहीं थी.. लेकिन एक रूम का दरवाजा अंदर से बंद था और उसमे से थोड़ा थोड़ा धुआँ बाहर आ रहा था और उस रूम के साईड में एक बहुत छोटी सी खिड़की थी जिससे मैंने उस रूम के अंदर देखा.. दोस्तों वैसे तो खिड़की बंद थी.. लेकिन उससे भी सब कुछ साफ देखा जा सकता था और जब मैंने अंदर देखा तो में देखता ही रह गया। मेरी मौसी बिल्कुल नंगी ज़मीन पर बैठी थी उनकी कमर में बस एक पतला सा कपड़ा बंधा हुआ था जिसका एक छोर उनकी चूत पर लटक रहा था और गांड बिल्कुल खुली हुई थी और वो तांत्रिक भी उनके सामने नंगा बैठा हुआ था ……..
और उसका साँप की तरह का लंबा, काला, मोटा लंड उसके पैरों के बीच एकदम सीधा तनकर खड़ा था और वो बहुत चमक भी रहा था और लंड के ऊपर वाली चमड़ी आधी खुली हुई थी जहाँ से उसका गुलाबी कलर का टोपा झाँक रहा था जो थोड़ा गीला और चिकना लग रहा था.. शायद सेक्स का एक राउंड पहले ही हो चुका था और मेरी मौसी के पूरे बदन पर तेल लगा हुआ था मेरी मौसी का क्या जिस्म था? उनको देखकर मेरा तो लंड जैसे जीन्स फाड़कर बाहर आ रहा था ……..
और वो तांत्रिक कोई मंत्र बुदबुदा रहा था। फिर उसने मौसी को लेटने को कहा और फिर उसके शरीर पर और तेल मसलने लगा.. उनकी जाघों को रगड़ते रगड़ते बार बार चूत भी रगड़ता था।
फिर उसने मौसी से बोला कि मेरी मालिश करो और मेरी मौसी उठी.. वो क्या ग़ज़ब लग रही थी? उनका पूरा शरीर नंगा था और बस उनकी चूत पर एक छोटा सा कपड़ा लटक रहा था। उसकी चूचियाँ और गांड बाहर की तरफ निकल रहे थे। फिर उन्होंने खड़ी होकर सबसे पहले उस तांत्रिक के पैर छुये और फिर उसकी मालिश करने लगी..
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फिर तांत्रिक के बिना बोले ही उन्होंने उसके लंड को अपने मुहं में ले लिया और तांत्रिक ने अपना लंड उनके मुहं से बाहर निकाल कर उन्हे धक्का दिया और उल्टा लेटाकर उनकी गांड में मुहं लगाकर जीभ से चाटने लगा। तो उसकी दाढ़ी और मूंछ मौसी की गांड में चुभ रही थी और मौसी को बड़ा मज़ा आ रहा था। फिर कम से कम 15 मिनट तक वो गांड और चूत को बारी बारी से एक एक करके चाटता रहा और मौसी को उल्टा लेटाकर अपना काला साँप जैसा 7 इंच का लंड उनकी गांड में डालकर ज़ोर जोर से धक्के देकर चोदने लगा। तो मौसी आह उह्ह्ह्ह अह्ह्ह …………….
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माँ थोड़ा धीरे कर रही थी और बोल रही थी कि चूत में डालो, गांड में नहीं.. मुझे बहुत दर्द होता है। तो वो बोला कि हरामजादी पूरा काम एक तरीके से होगा.. अगर तू चाहती है कि तेरी मनोकामना पूरी हो तो जैसे में बोलूं वही करना होगा.. अभी चुपचाप गांड मरवा.. चूत की बारी रात में आएगी।
फिर वो ताबड़तोड़ धक्के देकर गांड मारने लगा और कुछ देर बाद गांड में तेल लगे होने के कारण मौसी भी दर्द के साथ साथ मज़ा ले रही थी और वो बाबा उनकी मोटी मोटी गांड को ऐसे निचोड़ रहा था जैसे कोई नींबू से रस निचोड़ता है..
लेकिन यह नींबू नहीं बल्कि तरबूज के आकार की गांड थी और वो पीछे से उनके बूब्स की चटनी बनाने पर उतारू था और यहाँ मौसी आँखें बंद करके मोन कर रही थी और अपनी तीन उंगलियों को अपनी चूत के अंदर बाहर कर रही थी और अपनी चूत, गांड दोनों से ही चुदाई का बराबर मज़ा ले रही थी और अपनी आग को शांत कर रही थी। फिर जब तांत्रिक गांड में ही झड़ गया तो वो उठा और मेरे ख्याल से मौसी बहुत बार झड़ चुकी थी.. लेकिन फिर भी वो इतनी बड़ी चुदक्कड़ थी कि वो जब उठी.. ……….
तब भी वो अपने हाथों से अपनी चूत सहला रही थी। फिर जब तांत्रिक ने देखा तो वो बोला कि हाँ इसे भी शांत किया जाएगा.. लेकिन जैसा बोला है वैसा ही करना है। तो मौसी बोली कि बिल्कुल वैसा ही होगा महाराज बस आप मेरे ऊपर अपनी कृपा बनाए रखिए और फिर उसने कहा कि आज रात में तैयार रहना और यह करकर उसने अपने नंगे शरीर पर एक कंबल डाला और चला गया। उसके जाने के आधे घंटे बाद तक मौसी वहाँ पर नंगी बैठकर पूजा करती रही और अपनी चूत रगड़ती रही। फिर वो उठी और साड़ी लपेट कर बाहर आ गई। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
में तो बस रात होने का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था.. क्योंकि हम दोनों अलग अलग पलंग पर आँगन में सोते थे। फिर मैंने देखा कि उस दिन मौसी मुझे भी बड़ी मादक नज़रों से देख रही थी और उन्होंने सिर्फ़ साड़ी ही लपेट रखी थी जिससे मुझे उनका पूरा सेक्सी बदन साफ साफ दिख रहा था। फिर रात में जब हम लोग सोने के लिए लेटे तो मैंने बड़ी जल्दी सोने का नाटक किया..
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लेकिन वैसे भी मौसी को मेरे सोने का कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि उन्होंने लेटने के थोड़ी देर बाद ही वो साड़ी भी अपने शरीर से हटा दी थी और दूसरी तरफ करवट बदल कर अपनी चूत पर उंगली रगड़ रही थी.. शायद अब उनसे भी इंतज़ार नहीं हो रहा था यह मुझे उसकी गांड देखकर साफ पता चल रहा था और उसका पूरा बदन चाँदनी रात में एकदम साफ दिख रहा था और उनकी गांड पीछे से दो सफेद छोटी छोटी पहाड़ियों की तरह लग रही थी और मुझे यह बाद में समझ में आया कि मौसी की अपने पति से लड़ाई क्यों होती थी और वो मयके में ही क्यों रहती थी? वो तंत्र मंत्र में बहुत विश्वास रखती थी ………
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और उसके लिए किसी से भी चुदवाने को तैयार हो जाती थी और इसी कारण ना जाने कितने बाबा लोगों का लंड इनकी चूत, गांड को चख चुका था और मेरा लंड तो सारे दिन से पेंट के अंदर ही तना हुआ था, यह उन्हे भी पता था.. लेकिन मैंने पहले ही कहा कि उन्हे कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था शायद वो इतनी चुदक़्कड़ बन चुकी थी कि वो किसी से भी चुदवा लें।
तभी थोड़ी देर बाद दरवाज़े पर हल्की सी आहट हुई वो तुरंत उठकर नंगी ही दरवाज़े तक गई। पूरे घर की लाईट बंद थी और वो गाँव का कच्चा घर था.. लेकिन उस चाँदनी रात में सब कुछ साफ साफ दिख रहा था और उन्होंने नंगी ही दरवाज़ा खोला। उस समय लगभग 12 बज रहे थे। तो दरवाज़े से तीन तांत्रिक एक एक करके अंदर आए और उनमे वो भी था..
जिसने दिन में मौसी की गांड मारी थी। वो सब के सब सर से लेकर पैर तक राख में सने हुए थे और बिल्कुल नंगे नागा बाबा जैसे थे और उन सब ने हड्डियों जैसी मालाएँ पहनी हुई थी और अपने एक हाथ में त्रिशुल लिए हुए थे और उनके लंड के पास घने बाल थे.. लेकिन उनमे से एक के बाल सफेद थे शायद वो उनका सरदार था। तो मौसी के बदन को देखते ही सबके लंड एकदम टाईट हो गये। उन सबके लंड 7 इंच या 8 इंच से कम नहीं थे। वो अंदर आते ही मौसी को घूरकर देखने लगे ……………
और फिर मौसी उनके चरणों में गिर पड़ीं.. लेकिन उनकी नज़रें बार बार उन सब के लंड पर ही जा रही थी.. जैसे कोई भूखी शेरनी के सामने कोई मेमना आ गया हो। फिर वो आगे बढ़ गये और आँगन में आ गये। फिर मुझे देखकर बोले कि यह बालक कौन है? तो वो बोली कि यह मेरा भांजा है और यह गहरी नींद में सो रहा है और फिर उन्होंने पूछा कि क्या तुम तैयार हो? तो मौसी बोली कि में तो आपकी दासी हूँ.. आप जो भी चाहे वो करिए।
तो तांत्रिक ने कहा कि ठीक है ज़मीन पर लेट जा और जब वो लेटी तो सारे तांत्रिक हड्डियाँ वग़ैरह उतार कर वहाँ पर जम गए.. जैसे कोई अनुष्ठान होने वाला हो। फिर उन्होंने अपने गले में लटकी हुई खोपडियां उतार दी और उनके पास धूप वग़ैरह जला दिया और अचनाक अपने झोले में से दारू की बॉटल निकालकर तीनों ने एक एक घूंट मारी और मौसी के बदन पर थोड़ी सी दारू डाल दी और फिर उन पर पेशाब करने लगे। तो मुझे यह सब देखकर बड़ी घिन आई.. लेकिन मौसी तो जैसे पागल हो चुकी थी वो आहम्म अह्ह्ह उह्ह्ह कर रही थी
और में लगातार सोने का नाटक कर रहा था.. लेकिन में अपनी पेंट के अंदर हाथ डालकर अपने लंड का टोपा रगड़ रहा था और एक बार झड़ भी चुका था। फिर सरदार ने उन्हे सीधा बैठाकर अपना लंड उनके मुहं में घुसा दिया और वो उनका मोटा काला लंड चूसने लगी। फिर एक एक करके मौसी ने सबका लंड चूसा और अब वो चुदने को बैताब हो रही थी..
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तो सरदार लेट गया और मौसी ने उनके ऊपर आकर उसका लंड पकड़कर अपनी चूत में डालकर लंड पर उठक बैठक लगाने लगी और पीछे से उनके एक चेले ने अपना लंड उनकी गांड में डाल दिया और मौसी मज़े से कराहने लगी और सरदार उनके बूब्स को रगड़ रहा था और थोड़ी देर बाद तीसरे ने भी अपना लंड उनके मुहं में डाल दिया………………
और मौसी तीन तरफ से चुदने लगी.. वाह वो क्या नज़ारा था? तो इसी बीच मौसी को मेरा ख़याल आया और उन्होंने मेरी तरफ देखा तो में सोने का नाटक कर रहा था.. लेकिन शायद वो समझ गई थी और मुस्कुरा दी और उछल उछलकर मज़े ले रही थी। फिर थोड़ी देर बाद दोनों चेले झड़ गये..
लेकिन बुड्ढा सरदार अभी भी लगा हुआ था और वो बोला कि बहुत हो गया और मौसी को ज़मीन पर पटककर बड़ी तेज़ी से धक्के मारने लगा और मौसी चिल्लाने लगी.. मारो हाँ और ज़ोर से मार.. अह्ह्ह्ह डालो उह्ह्ह्ह में आपकी दासी हूँ चोदो आहह और ज़ोर से.. बुझा लीजिए अपनी बरसों की प्यास आह उह्ह्ह फाड़ डालो मेरी चूत आहह और उनके बूब्स इधर उधर उचक रहे थे। करीब आधे घंटे बाद सरदार भी झड़ गया और थककर लेट गया।
फिर मौसी उठकर उनका ढीला पड़ा हुआ लंड फिर से चूसने लगी और फिर सरदार उठा और अपने चेलों से बोला कि और भोग लो इस छिनाल को और नंगा ही घर से बाहर चला गया.. लेकिन बाकी दोनों चेले रात भर मौसी को चोदते रहे और मेरी कब नींद लग गई मुझे पता ही नहीं चला और जब नींद खुली तो मेरा लंड पेंट से बाहर था और मैंने झट से अपना लंड पेंट के अंदर डाला और सब कुछ भूलकर अपने दैनिक कार्य में लग गया। अभी भी वो तांत्रिक आते है और मौसी को जबरदस्त चोदकर जाते है । कहानी अच्छी लगे तो कमेंट करे!!!!
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धन्यवाद …
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